छत्तीसगढ़ बना देश का हरित विकास मॉडल! 25 साल में खनिज राजस्व 34 गुना बढ़ा, हरियाली और रोजगार से चमका राज्य का भाग्य

 

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    🌱 छत्तीसगढ़ बना देश का हरित विकास मॉडल! 25 साल में खनिज राजस्व 34 गुना बढ़ा, हरियाली और रोजगार से चमका राज्य का भाग्य

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    छत्तीसगढ़ में 25 साल में खनिज राजस्व 34 गुना बढ़ा, रोजगार और हरियाली दोनों में मिला संतुलन, राज्य बना देश का सस्टेनेबल विकास मॉडल।

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    छत्तीसगढ़ खनिज विकास – हरियाली, रोजगार और आर्थिक समृद्धि का संतुलित मॉडल की तस्वीर

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  6. 📍 News Article Content:

रायपुर। छत्तीसगढ़ अब सिर्फ हरियाली और संस्कृति का नहीं, बल्कि भारत की खनिज राजधानी के रूप में भी देशभर में अपनी मजबूत पहचान बना चुका है। राज्य की धरती में देश के कुल खनिज भंडार का बड़ा हिस्सा छिपा है। यही कारण है कि आज राज्य की अर्थव्यवस्था में खनिजों की हिस्सेदारी लगातार बढ़ रही है और प्रदेश के सकल घरेलू उत्पाद (GSDP) में इसकी भागीदारी करीब 10 प्रतिशत तक पहुँच चुकी है।

💰 25 साल में 34 गुना बढ़ा खनिज राजस्व

राज्य गठन के समय जहाँ खनिज राजस्व 429 करोड़ रुपये था, वहीं अब यह बढ़कर 14,592 करोड़ रुपये पहुँच गया है। यानी पिछले 25 सालों में खनिज राजस्व में 34 गुना वृद्धि दर्ज की गई है। यह उपलब्धि वन और पर्यावरण संतुलन को बनाए रखते हुए हासिल की गई है, जो वाकई उल्लेखनीय है।

🌳 वन संरक्षण और पुनर्वनीकरण में देश में अग्रणी

1980 से अब तक केवल 28,700 हेक्टेयर भूमि खनन कार्यों के लिए दी गई है, जो राज्य के कुल वन क्षेत्र का मात्र 0.47 प्रतिशत है। साथ ही, कटाई के साथ 5 से 10 गुना वृक्षारोपण अनिवार्य किए जाने से राज्य में 68,362 हेक्टेयर नई हरियाली बढ़ी है। इंडिया स्टेट ऑफ फॉरेस्ट रिपोर्ट के अनुसार यह वृद्धि देश में सबसे अधिक है।

⚒️ खनिजों से विकास और रोजगार

खनिज राजस्व ने न केवल राज्य की अर्थव्यवस्था को संबल दिया है, बल्कि हजारों युवाओं के लिए रोज़गार के नए अवसर भी पैदा किए हैं। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में सरकार “खनिज से विकास” की परिकल्पना को धरातल पर उतार रही है, जहाँ खनन को पर्यावरणीय संतुलन और जनहित से जोड़ा गया है।

🔥 कोयला उत्पादन में देश में दूसरा स्थान

छत्तीसगढ़ में 74,192 मिलियन टन कोयला भंडार है, जो देश के कुल भंडार का 20.53 प्रतिशत है। राज्य की कोयला उत्पादन में 20.73 प्रतिशत हिस्सेदारी है और देश में दूसरा स्थान प्राप्त है। यह कोयला बिजली, सीमेंट, इस्पात और लघु उद्योगों के लिए अहम ऊर्जा स्रोत है।

🪨 लौह अयस्क में भी दूसरा स्थान

कबीरधाम से बैलाडीला तक फैले क्षेत्रों में 4,592 मिलियन टन लौह अयस्क मौजूद है, जो राष्ट्रीय भंडार का 19.09 प्रतिशत है। एनएमडीसी की बैलाडीला और दल्ली-राजहरा खदानें देश के इस्पात उद्योग की जीवनरेखा हैं।

🧱 बॉक्साइट और सीमेंट उद्योग की मजबूती

राज्य में 992 मिलियन टन बॉक्साइट भंडार है, जो देश का 20 प्रतिशत है। वहीं, चूना पत्थर के 13,211 मिलियन टन भंडार के कारण बलौदाबाजार, रायपुर, जांजगीर-चांपा और रायगढ़ को “सीमेंट हब” कहा जाने लगा है। यहाँ अल्ट्राटेक, एसीसी, श्री सीमेंट और अम्बुजा जैसी कंपनियाँ कार्यरत हैं।

⚙️ सामरिक और दुर्लभ खनिज

देश का 100 प्रतिशत टिन उत्पादन छत्तीसगढ़ में होता है। दंतेवाड़ा और सुकमा में 30 मिलियन टन टिन अयस्क का भंडार मिला है, जो रक्षा और इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। इसके अलावा, डोलोमाइट, हीरा और स्वर्ण भंडार भी राज्य की संपन्नता को दर्शाते हैं।

🧱 गौण खनिजों से स्थानीय विकास

राज्य में 37 प्रकार के गौण खनिज जैसे रेत, मिट्टी, ईमारती पत्थर और डोलोमाइट की खुदाई होती है। इनसे न सिर्फ स्थानीय रोजगार बढ़ा है, बल्कि पंचायतों को हर साल सैकड़ों करोड़ रुपये का राजस्व मिलता है। इनसे ग्रामीण विकास योजनाओं को भी गति मिली है।

🌿 सस्टेनेबल ग्रोथ का छत्तीसगढ़ मॉडल

छत्तीसगढ़ ने यह साबित कर दिया है कि विकास और हरियाली एक-दूसरे के विरोधी नहीं बल्कि पूरक हो सकते हैं। यहाँ की खनिज नीति में दूरदृष्टि और संवेदनशीलता का मेल है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में राज्य ने दिखाया है कि खनिज संपदा का सही उपयोग केवल भूमि की गहराई नहीं, बल्कि जनजीवन की समृद्धि में भी झलकता है।


🙏 CTA:
अगर आपको लगता है कि विकास और पर्यावरण का संतुलन साथ-साथ चल सकता है, तो छत्तीसगढ़ इसका जिंदा उदाहरण है। इस मॉडल से बाकी राज्यों को भी सीख लेनी चाहिए – जहाँ हरियाली और तरक्की साथ-साथ बढ़ती है। 🌿✨

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