डरावना एक्सपेरिमेंट: यूट्यूब से कार्बाइड बम बनाते समय 25 बच्चों की आँखें झुलसी, कुछ की रोशनी पर अब खत

 

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    डरावना एक्सपेरिमेंट: यूट्यूब से कार्बाइड बम बनाते समय 25 बच्चों की आँखें झुलसी, कुछ की रोशनी पर अब खतरा

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    गोरखपुर में यूट्यूब देख कर कार्बाइड बम बनाने से 25 बच्चे गंभीर रूप से झुलसे; आंखों की खराबी व कर्निया प्रत्यारोपण की आशंका।

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    IMAGE TITAL: गोरखपुर कार्बाइड हादसा – यूट्यूब से बम बनाते हुए घायल बच्चों के इलाज का दृश्य

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गोरखपुर से डराने वाली खबर मिली है। दीपावली की खुशियों के बीच यूट्यूब देख कर सस्ते कार्बाइड बम बनाने वाले कई बच्चों की आंखों की रोशनी पर संकट खड़ा हो गया है। करीब 25 बच्चे गंभीर रूप से झुलस कर बीआरडी मेडिकल कॉलेज और एम्स में इलाज के लिए पहुंच गए हैं।

बच्चों के इलाज के लिए बीआरडी मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य व नेत्र सर्जन डॉ. रामकुमार जायसवाल ने खुद ओपीडी में मरीजों का परीक्षण किया। उनका कहना है कि यूट्यूब से सीख कर सस्ता बम बनाने के चक्कर में बच्चों की आंखों और चेहरे को बहुत बड़ा नुकसान हुआ है। कई के चेहरे झुलसे हुए हैं और कुछ की आंखों में गंभीर चोटें आई हैं। कर्निया प्रत्यारोपण (कॉर्निया ट्रांसप्लांट) की भी नौबत आ सकती है। जिन बच्चों को पहले कहीं और इलाज कराया गया था, उनकी आंखों की स्थिति और खराब पाई जा रही है।

कुशीनगर के कसया के रहने वाले सिराज अंसारी (14) की आंख में चोट आई है। वहीं 11 वर्षीय अंतस की पुतली चोटिल हो गई है और दोनों पलकें व चेहरा जल गया है। डॉ. जायसवाल ने बताया कि अंतस की पुतली सफेद हो चुकी है, जिससे आंख की रोशनी जाने के प्रमाण मिल रहे हैं। परिजनों के अनुसार अंतस घर में कार्बाइड बम बना रहा था, इस दौरान विस्फोट हुआ और आंख व चेहरा झुलस गया।

डॉ. जायसवाल ने बताया कि कार्बाइड बम सस्ता जरूर है, पर इसके कारण लोग अंधेपन तक के शिकार हो सकते हैं। प्लास्टिक बोतल या पाइप में बाजार से लिया गया कैल्शियम कार्बाइड, पानी मिलाने पर एसिटिलीन गैस बनाता है। छोटी सी चिंगारी भी धमाका कर देती है। अक्सर रसोई गैस लाइटर से चिंगारी दी जा रही थी। अगर प्लास्टिक कमजोर हो तो फटने पर निकलने वाले कण सीधे आंखों में चले जाते हैं, जिससे रोशनी छिनने का खतरा पैदा हो जाता है।

करीब 100 रुपये में घर पर बम बनाने की लालच और यूट्यूब का ज्ञान इन बच्चों के लिए बड़ी मुसीबत बन गया। कार्बाइड की बाजार कीमत 160 रुपए प्रति किलो बताई जा रही है। इसके इस्तेमाल से तेज आवाज वाले पटाखे बनाए जा सकते हैं और बच्चे बोतलों में भर कर बम बना रहे थे, जिससे दीपावली में वे इसके भयंकर प्रभाव के शिकार बने।

डॉ. रामकुमार ने समाज से अपील की है कि लोग इस घटना से सीख लें। अभिभावक अपने बच्चों पर नजर रखें और उन्हें ऐसे सस्ते एक्सपेरिमेंट से बचाएं। नहीं तो ये सस्ता बम लोगों के लिए घातक साबित हो सकता है।

👉 CTA:
अगर आपका बच्चा भी ऐसे एक्सपेरिमेंट करता है तो तुरंत रोकें और किसी भी संदिग्ध घटना की जानकारी नजदीकी अस्पताल या प्रशासन को दें — एक छोटी सी सतर्कता किसी की जिंदगी बचा सकती है।

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